Pakistan can be destroyed New delhi. पाकिस्तान इन दिनों फिर गलत कारणों से सुर्खियों में है. हालांकि इस बार मामला आतंकवाद या सेना की कारस्तानियों का नहीं बल्कि उस कर्ज का है, जिसके बोझ तले ये देश करीब-करीब दब चुका है. ये बोझ इस कदर भारी हो चला है कि लगता नहीं कि कोई ताकत उसे उबार पाएगी. माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मिलने वाला ताजातरीन लोन पाकिस्तान को इस कदर महंगाई के भंवर में फंसा सकता है कि वो त्राहि-त्राहि कर उठेगा.
पाकिस्तान के पास आने वाले विदेशी लोन का अब तक सबसे ज्यादा इस्तेमाल सेना, सैन्य साजो सामान खरीदने के साथ आतंकवाद की फसल पैदा करने में हुआ है. अब पाकिस्तान चारों ओर से इस जाल में फंस चुका है और मुसीबत में है. अगर यही हाल रहा तो एक राष्ट्र के तौर पर उसका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा.
एवरेस्ट सरीखा कर्ज का बोझ
खुद पाकिस्तान असेंबली के आंकड़े कहते हैं कि फिलहाल पाकिस्तान पर कुल विदेशी ऋण का बोझ 88.199 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा का खजाना खाली है. पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले बुरी तरह गिर रहा है. सामान मंहगा होने लगा है. ये तो अभी शुरुआत है. इस हालत में पाकिस्तान घुटने टेककर फिर से आईएमएफ से छह बिलियन डॉलर का लोन ले रहा है.
कभी नहीं हुआ आम आदमी का भला
बेशक पाकिस्तान में यही बताया जा रहा है कि यह ऋण मिलने के बाद देश की सारी व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी. सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन हकीकत ये है कि इससे भी मोटा लोन पाकिस्तान पहले लगातार लेता रहा है. वहां कभी कुछ नहीं बदला है, सिवाय लोन के पहाड़ के बड़ा होते जाने के. इससे पाकिस्तान में आम जनता का भला तो नहीं हुआ लेकिन सेना का बजट और खर्च जरूर लगातार बढ़ता जा रहा है.
तब इमरान कहते थे इससे बेहतर होगा मर जाना
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि पिछले छह वित्तीय वर्षों में देश ने 26.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण लिया. इमरान खान जब कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कोशिश की कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे दोस्त मुल्कों से उन्हें लोन मिल जाए लेकिन जब उसमें पूरी तरह सफलता हासिल नहीं हुई तो उस आईएमएफ के आगे हाथ फैलाना पड़ा. जिसके बारे में कभी खुद इमरान दावा करते थे कि आईएमएफ से कर्ज लेने की बजाए वो मर जाना पसंद करेंगे.
आईएमएफ काफी कड़ी शर्तों पर पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज का लोन दे रहा है. इसकी रकम वो तीन सालों में देगा. शर्तें इतनी कठिन हैं कि पाकिस्तान में रहने वालों के होश फाख्ता हो रहे हैं. विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि पाकिस्तान उस अंधी गुफा में घुस चुका है, जहां से निकलना संभव नहीं.
अभी डॉलर और होश उड़ाएगा
पाकिस्तान के विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी देश इस तरह कर्ज में नहीं डूबता, जिस तरह हम डूबते जा रहे हैं. कर्ज से क्या दिक्कतें बढ़ने वाली हैं, ये भी जानना चाहिए-डॉलर और महंगा होता जाएगा, मौजूदा हालत में ही एक डॉलर की कीमत 145 पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गई है. माना जा रहा है कि ये और ज्यादा हो जाएगी.
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तेल से लेकर सब्जियां तक हो जाएंगी महंगी
तब पाकिस्तान के लिए विदेश से तेल मंगाने से लेकर कोई भी सामान मंगाना खासा महंगा होगा. पाकिस्तान की सामान्य जनता का तो हाल बुरा हो जाएगा. रही सही कसर लोन पटाने के लिए बढ़े हुए टैक्स पूरा कर देंगे. यानि पाकिस्तानी जनता की हालत बुरी तरह से नोंचे जाने वाली हो जाएगी.
तब मुसीबत पैदा करने वाला असंतुलन पैदा होगा
निश्चित तौर पर जब इसका असर देश के बजट पर पड़ेगा और सेना के कर्ज में कटौती की बात की जाने लगेगी तो एक नए तरह का असंतुलन पैदा होगा. जिसका मतलब होगा फिर तख्ता पलट. यूं भी पाकिस्तान में इन दिनों कम से कम छह सूबों में अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं. अगर महंगाई काबू से बाहर हुई और टैक्स का बोझ बढ़ा तो यकीनन इन आंदोलनों को असंतोष की और हवा मिलेगी.
चीन जरूर ऐसे में चांदी काट सकता है. जिसने खुद अपने इस पड़ोसी को जमकर कर्जों के नीचे दबा रखा है. इसके बदले वो पाकिस्तान के बड़े हिस्से में अपने प्रोजेक्ट लगाता जा रहा है. भविष्य में पाकिस्तान के तमाम इलाके उसके कंट्रोल में आ सकते हैं. अप्रत्यक्ष तौर पर ये देश आने वाले समय में चीन का उपनिवेश ना बनकर रह जाए. हां, ये स्थिति भारत के लिए जरूर खतरनाक है.
कब पाकिस्तान ने लिया था पहला लोन
पाकिस्तान ने आईएमएफ से पहला लोन 1958 में लिया था. अब तक वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 21 बार कर्ज ले चुका है. पिछली बार पांच साल पहले उसने 4.4 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया था. इससे पहले 2008 में 7.2 बिलियन डॉलर की रकम का लोन पाया.
आईएमएफ क्या है
आईएमएफ को 1945 में इस उद्देश्य से बनाया गया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच आर्थिक स्थायित्व बनाकर रखा जाए. जरूरत पड़ने पर देशों को आर्थिक मदद दी जाए. इस संगठन के सदस्य 189 देश हैं. फिलहाल इसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में 11 सदस्य हैं, जो अलग-अलग देशों के हैं. फ्रांस की क्रिस्टीन लेगार्ड इसकी मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. आईएमएफ में जिन 20 देशों को वीटो का अधिकार है, उसमें भारत भी शामिल है.on the verge of waste, all systems can be destroyed
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