Jul 06, 2019
भोपाल. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि भविष्य का मध्यप्रदेश बनाने और जनता की अपेक्षाएं कैसे पूरे हों, यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। प्रजातंत्र के मंदिर विधायिका में हमें इसी कर्तव्य का पालन करना चाहिए। शनिवार को मध्यप्रदेश विधानसभा के कैलाश मानसरोवर सभाकक्ष में नव-निर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कमलनाथ ने कहा, "कब हमें बोलना, कब हमें चुप रहना है। इस बारीकी को समझना होगा। हमें सिर्फ बोलना है यह नहीं सार्थक रूप से अपनी बात कहना है। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शोर-शराबा और विषयांतर होकर अपनी बात करने से हम न केवल अपने अधिकारों, कर्तव्यों बल्कि क्षेत्र की जनता के साथ ही अन्याय करते हैं। जिससे हमें विश्वास के साथ चुनकर भेजा है।"
कमलनाथ ने कहा कि 40 साल पहले जब वे पहली बार लोकसभा सदस्य चुना गया था। तब मैंने पहली बार संसदीय ज्ञान की पहली सीढ़ी ऐसे ही प्रबोधन कार्यक्रम के जरिए चढ़ी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान ने विधायिका के कर्तव्यों और अधिकारों को बेहतर ढंग से परिभाषित किया। हमें अपने इस संविधान की आत्मा को आत्मसात कर अपने देश, प्रदेश और क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना है।
विधायनी पत्रिका का विमोचन
इस मौके पर मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति, विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कांवरे, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविंद सिंह एवं लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव उपस्थित थीं। शुरूआत में मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री अवधेश प्रताप सिंह ने प्रबोधन कार्यक्रम के उद्देश्य और रूपरेखा बताई। इस मौके पर मध्यप्रदेश विधानसभा की त्रैमासिक पत्रिका विधायनी के नए अंक एवं विधानसभा से संबंधित नियम-प्रक्रिया की पुस्तक का विमोचन हुआ।
जनता के पास जाएंगे तो क्या बताएंगे-